कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल) को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी है अपने आदेश में हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि CBI कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी। मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी।
संदेशखाली की महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्ज़ाने का आरोप लगाया है। मामले में शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपी बनाया गया है । तीनों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।
यह विदित है कि किसी भी राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की इन्क्वायरी के लिए उस राज्य की सरकार से अनुमति लेनी होती है। अब ज़ाहिर है की ममता बनर्जी सरकार अपने ही नेताओं के आरोपों की जांच न तो निष्पक्ष तोर पर करवाएगी और न ही CBI से जांच करवाएगी लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य की ममता बनर्जी सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा पाएगी।
ज्ञात रहे कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई ‘सामान्य सहमति’ वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने 4 अप्रैल को यह टिपणी की थी कि संदेशखाली का 1% सच भी शर्मनाक है। कोर्ट ने कहा था कि यह लोगों की सुरक्षा का मामला है और इसके लिए पूरा प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी नैतिक तौर पर 100% जिम्मेदार है।
संदेशखाली में शेख शाहजहां और उसके दो साथियों शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर आरोप है कि वे वहां की महिलाओं का लंबे समय से गैंगरेप कर रहे थे और उन पर वहां के लोगों की ज़मीने हड़पने का भी आरोप लगा है। इस केस में शिबू हाजरा, उत्तम सरदार, शाहजहां समेत 18 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
शाहजहां शेख TMC का डिस्ट्रिक्ट लेवल का नेता रहा है। वहां से जुड़े एक राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को उसके घर पर रेड की थी। तब रेड के वक्त शाहजहां के 200 से ज्यादा सपोर्टर्स ने ED टीम पर अटैक कर दिया था उस वक्त ED अफसरों को जान बचाकर वहां से भागना पड़ा था , उस घटना के बाद शाहजहां फरार हो गया था। इस घटना के 55 दिन बाद वह पकड़ा गया था।
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