अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन पूरी ज़ोर शोर से तैयारी कर रहा है। शी जिनपिंग के इस प्लान में उसका साथ देने के लिए रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी तैयार है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस समय बड़े उच्च स्तर पर सहयोग हो रहा है।
चीन की वैश्विक घोषित नीति रही है कि ताइवान उसका हिस्सा है और एक दिन वह उसे अपने अधीन कर लेगा। अब चीन अपनी इस नीति को अमल में लाने की तैयारी कर रहा है। ताइवान को निगलने के लिए बीजिंग एक महाप्लान पर काम कर रहा है, जिसमें रूस भी शामिल है। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि रूस और चीन सैन्य मुद्दों पर निकटता से काम कर रहे हैं जिसमें ताइवान पर संभावित आक्रमण भी शामिल है। अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक एवरिल हैन्स ने कांग्रेस को दी गई गवाही में ये अहम जानकारी दी है।
हैन्स ने कांग्रेस को बताया, “हम पहली बार चीन और रूस को ताइवान के संबंध में एक साथ काम करते हुए देख रहे हैं। चीन वर्षों से अपना ये निकृष्टतम ख्वाब पूरा करना चाह रहा है , वैश्विक बिगड़े हालातों की आड़ में चीन अपने इस प्लान को कामयाब ज़रूर करना चाहेगा जब पूरा विश्व इज़राइल -हमास और रूस -यूक्रेन के संघर्ष में ही उलझा हुआ है। यहां चीन जरूर चाहेगा कि रूस उसके साथ इस पालन पर काम करे।” हैंस ने कहा कि उन्हें रूस के ऐसा न करने के पीछे कोई वजह नहीं दिखती है।
रूस और चीन के इस तरह साथ मिल जाने ने पेंटागन की चिंताओं को बढ़ा दिया है। रिपब्लिकन सीनेटर माइक राउंड्स ने इस संभावना पर पेंटागन की योजना के बारे में पूछा तो लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस ने बताया कि वर्तमान हालातों से साफ़ ज़ाहिर है कि रूस और चीन एक दूसरे के हितों के लिए निश्चित रूप से सहयोगी होंगे, ऐसे हालातों में हमें बहुत अधिक ध्यान रखना होगा। भविष्य में ऐसे माहौल बनने की उमीदों से अमेरिकी रक्षा विभाग हमारी संयुक्त बल की आवश्यकता के बारे में अधिक चिंतिंत हो गया है।
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