दूसरों को अपना घर सुधारने की नसीहत देना बहुत आसान होता है लेकिन जब खुद पे बीतती है और अपने घर में उथल-पुथल होती है तभी उस स्थिति का एहसास होता है और उससे भी कठिन होता है जब बिगड़े हालात आसानी से ठीक नहीं हो पा रहे हों।
हम बात कर रहे हैं अमेरिका की चुनिंदा और विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटिओं की जिनमे फ़िलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन चरमसीमा पर है जिसके कारण वहां व्यापक हिंसा हुई है और 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया , यहाँ हम ये भी स्पष्ट कर दें कि हम ऐसी किसी हिंसा का समर्थन नहीं करते ,लेकिन अतीत में अमेरिका ने भारत में लागू नए नागरिकता कानून और किसानों के विरोध से जुड़े घरेलू नीतिगत फैसलों पर भारत की घोर आलोचना की थी।
भारत एक विशाल जनसँख्या वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है तो इतनी आबादी और विविधता वाले देश में जब भी कुछ घटनाएं होती हैं तो विश्व के ठेकेदार बने विकसित देश भारत की आलोचना करना शुरू कर देते हैं तभी अब जब अमेरिका में भारी विरोध प्रदर्शन व हिंसा हुई है तो भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की यूनिवर्सिटिओं में फ़िलिस्तीन के समर्थन में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
“हमने मामले पर रिपोर्टें देखी हैं और संबंधित घटनाओं पर नज़र रख रहे हैं। प्रत्येक लोकतंत्र में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के बीच सही संतुलन होना चाहिए, ” विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा।
“विशेष रूप से लोकतंत्रों को अन्य साथी लोकतंत्रों के संबंध में इस समझ को प्रदर्शित करना चाहिए। आख़िरकार, हम सभी का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि हम घर पर क्या करते हैं, न कि हम विदेश में क्या कहते हैं,” उन्होंने कहा।
भारत एक ऐसा देश है जिसने विश्व के बाकि देशों से शायद ज़्यादा ही उतार चढ़ाव देखे हैं , भारत को दुःख पहुँचता है जब कुछ विकसित देश भारत के घरेलु मामलों पर टिका टिपणी करते हैं।
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