CAA पर अमेरिका के बयान को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- यह टिप्पणी CAA को समझे बिना की गई। हमारा मकसद 1947 में भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं का हल निकालना है। जयशंकर ने भारत के इतिहास को लेकर अमेरिका की समझ पर सवाल उठाए हैं।
हमारा मकसद 1947 में भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं का हल निकालना है
इंडिया टुडे कॉनक्लेव में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- मैं अमेरिका के लोकतंत्र की खामियों या उसके उसूलों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। अगर आप दुनिया के कई हिस्सों से दिए जा रहे बयानों को सुनेंगे, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं। जैसे देश में कभी इसकी वजह से कोई ऐसी समस्या नहीं थी, जिसका CAA ने हल दिया है। हमारा मकसद भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं का हल निकालना है।
कॉनक्लेव में भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी भी शामिल हुए। उन्होंने कहा- अमेरिका कभी भी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ेगा। धार्मिक आजादी और समानता लोकतंत्र की आधारशिला है। अमेरिका CAA को लेकर चिंतित था और इसे लागू करने के तरीके पर नजर रखे हुए है।
गार्सेटी के बयान पर जयशंकर ने कहा- आप एक समस्या ढूंढते हैं और उसके पीछे की वजह, उसके इतिहास को हटा देते हैं। फिर उस पर राजनीतिक तर्क दिया जाता है और इसे सिद्धांत बताया जाता है। हमारे पास भी सिद्धांत हैं। इनमें से एक है उन लोगों की तरफ हमारी जिम्मेदारी जिन्हें विभाजन के समय परेशानियां झेलनी पड़ी थीं।
विदेश मंत्री ने आगे कहा- अगर आप मुझसे पूछें कि क्या दूसरे देश भी जाति या धर्म के आधार पर तेजी से नागरिकता देते हैं, तो मैं आपको कई उदाहरण दे सकता हूं। अगर बहुत बड़े पैमाने पर कोई फैसला लिया जाता है, तो तुरंत उसके सभी परिणामों से निपटा नहीं जा सकता।दरअसल, 2 दिन पहले व्हाइट हाउस के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था- अमेरिका 11 मार्च को आए CAA के नोटिफिकेशन को लेकर चिंतित हैं। इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर हमारी नजर रहेगी। धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करना और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना लोकतांत्रिक सिद्धांत है।
उन्होंने कहा – नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इस पर अमेरिका का बयान गलत है। जिन लोगों को भारत की परंपराओं और विभाजन के बाद के इतिहास की समझ नहीं है, उन्हें लेक्चर देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। CAA नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं।CAA अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन अल्पसंख्यकों को सुरक्षित पनाह देता है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हैं।
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