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बिहार केसरी राधा ने जीते 18 मेडल, कठिन परिस्थितिओं से भी नहीं मानी हार

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भोजपुर के अब तक के इतिहास में राधा पहली महिला पहलवान है, जिसे बिहार केसरी के उपाधि से नवाजा जा चुका है ,परिवार की आर्थिक तंगी और पिता के मौत के बाद भी राधा ने हार नहीं मानी और पहलवानों को धूल चटाती रही बिहार के भोजपुर की बेटी राधा कुमारी ने ओडिशा के पुरी में आयोजित कॉम्बैट नेशनल चैंपियनशिप में पहलवानी में गोल्ड मेडल जीतकर ना सिर्फ भोजपुर बल्कि पुरे बिहार का मान बढ़ाया है।

राधा ने पहलवानी की शुरुआत साल 2018 में आरा के जैन कॉलेज में की थी। पहलवानी के अभ्यास के लिए जो सबसे जरूरी होता है वो है मैट। मैट प्रैक्टिस के लिए व जगह के अभाव में इधर से उधर भटकती रही परन्तु अफ़सोस भोजपुर जिला प्रसाशन और राज्य सरकार भी उसकी प्रतिभा पहचान नहीं पायी और राधा की इन ज़रूरतों की ओर उदासीन बनी रही। बिना मैट के राधा आज भी अभ्यास करती है। आज भी राधा महाराज कॉलेज के घास पर अभ्यास करते हुए अपने साथ आधा दर्जन अन्य लड़कियां को पहलवानी में अंतराष्ट्रीय मेडल जीतने का सपना दिखाती है , राधा यह भी सोचती है कि जिन परेशानियों से उसे झूझना पड़ा था वो इन नयी लड़कियों को ना झेलनी पढ़ें।

राधा अपनी समस्या और तंग हाली बताते हुए कहती है कि 2020 में गंभीर बीमारी की वजह से पिता की मौत हो गई, जिसके बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब हो चुकी थी. घर में कोई कमाने वाला भी नहीं था तब उसने सोचा कि खेल छोड़ कुछ नौकरी कर लूँ , जबकि माँ उसकी शादी कर देना चाहती थी , लेकिन उसके गुरु जुगेश्वर सर ने राधा का हौसला बढ़ाए रखा उसको प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करते रहे बल्कि उसके खेल का , उसकी खुराक का सारा खर्च भी उठाने लगे। राधा के अनुसार तो उसके गुरु उसके लिए भगवान ही हैं वर्ना आज जिस मुकाम पर वो है उसकी तो वो कल्पना भी नहीं कर सकती।

लेकिन 17 मेडल बिहार को देने के बाद भी आजतक राज्य सरकार से राधा को कोई मदद नहीं मिली है। इस बार फिर से एक राष्ट्रीय मेडल राधा ने बिहार की झोली में डाल कर बिहार का नाम रोशन किया है।भोजपुर के खेल भवन में अभ्यास के लिए मैट मंगाया गया है लेकिन वहां के अधिकारी राधा को उसपर अभ्यास करने की इजाजत ही नहीं देते हैं। ऐसे हालात में राधा जैसी खिलाडियों का हौसला टूटता है जब यही खिलाडी दूसरे राज्यों या आगे चल कर दुसरे देशों के खिलाडियों को मिलने वाली सुविधाओं को देखते हैं तब ऐसे अच्छे खिलाडी बीच में ही इन हालातों के चलते अपने खेल को छोड़ कर किसी और काम में लग जाते हैं और देश एक काबिल खिलाडी से वंचित हो जाता है ऐसे खिलाडी सारी उम्र गुमनामी के अंधेरों में जीने को मजबूर हो जाते हैं

हम सब का ये फ़र्ज़ बनता है कि ऐसे खिलाडियों की आवाज़ बन इन मुद्दों को बराबर उठाते रहें और जो भ्रष्टाचारी /उदण्ड अधिकारी राधा जैसे खिलाडियों के साथ अन्याय करते हैं उनका पर्दाफाश करें ताकि ऐसे खिलाडी अपने खेलने के जुनून से वंचिंत होकर घुटघुट कर मौत जैसी ज़िन्दगी जीने को मजबूर न होने पाएं।

अस्वीकरण: लेखक की सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, यह लेख सटीक और सत्य है। सामग्री का उपयोग व्यवसाय, वित्त, कानून या प्रौद्योगिकी के विषयों में किसी वकील या अन्य योग्य सलाहकार से परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। यह केवल सूचनात्मक या मनोरंजक कारणों से है

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